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जिंदा इंसान की खोज


13/08/2017

सुबह जब अखबार का पहला पन्ना खोला तो देखा न्यूज़ थी 'ये हे जिनकी वजह से मरे गोरखपुर में मासूम' कम्पनी का नाम था आदमी का नाम और फोटो था साथ ही अन्य चीज़े और थी जेसे कितना कमाती हे कितने रुपयों के लिए बंद की वगेराह लिखा हुआ था

खबर की पहली लाइन थी –‘अस्पताल,कम्पनी और सरकार कर रहे हे पेमेंट की बात ,पर ऑक्सीजन कभी रोकी नही जा सकती’

कुछ देर सोचा पर समझ नही आया अगर नही रोकी जा सकती तो रुकी केसे पर फिर थोडा आगे पढ़ा तो कोई डॉक्टर का नाम आया

इतना पढ़ के जब दिमाग में उथल पुथल हुई तो अगला पन्ना देखा लिखा था ‘सरकार बोली-अगस्त में तो बच्चे  मरते ही हे ,ऑक्सीजन वजह नही’ खुद की जन्मतिथि दिमाग में घूम गयी और प्रश्न हो उठा वाकई ?

कुछ अन्दर पढने की कोशिश की गयी लिखा था एक मंत्री जी का बयान ‘कॉलेज में ओसतन 15-18 मौते रोज होती हे | ऑक्सीजन नही मिलने से मौत नही हुई

बस इतना पढना शायद काफी था पूरा समझ आ गया की हा मौते केसे हुई हे

वेसे पुरे देश को पता हे मौत केसे हुई उन 64 लोगो की पर फिर भी में आपको बता दू की केसे हुई इन मौतों का कारण हिंदुस्तान की मध्यम वर्गीय जनता हे उनको देश का कुछ लेना देना नही हे आज भी ये खबर पढ़ के घर में बैठ कर सोच रहे होंगे और गलती किसकी हे ये निष्कर्ष निकल रहे होंगे | कोई कहता होगा की गलती कम्पनी की हे तो कोई तर्क देता होगा की नही गलती उस डॉक्टर की हे कोई कहता होगा की गलती सरकार की ह उन्होंने पेमेंट नही किया था| दो दिन गुज़र जाने दीजिये कोई ऐसा व्यक्ति नही मिलेगा जो इस बारे में बात करेगा सबको आगे बढ़ना हे पर वे किस शर्त पे बढ़ रहे हे उन्हें कोई अंदाजा भी नही हे कभी आपके या आपके किसी परिवार के सदस्य के साथ नही जब कुछ हो जाएगा तब भी क्या आप भूल जायेंगे कौनसे ‘वसुधेव कुटुम्बकम’ की बात करते हो जब खुद के देशवासी के लिए आपका प्यार बस दो तीन दिन का हे | सच बात ये हे की ना आपको अपने देश की पड़ी हे ना आपको राज्य की पड़ी हे ना शहर या गाँव की आपको पड़ी हे अपने परिवार की  दरअसल डर अब लगता हे कही कुछ समय पश्चात परिवार की भी चिंता नही हुई तो क्या  हाल होगा |

हा हो ये सकता हे की आप सोशल मीडिया पर बस दुःख जाहिर कर दो और शायद उन 200-500 लोगो को अपनी भावना बता दो पर असली बात ये हे की ना उन पीडितो की आप मदद कर रहे हे और न ही उस कम्पनी ,डॉक्टर  और सरकार पे करवाई में कोई मदद बस आप अपना शेयर कर रहे हे कोई ग्रुप में आया पोस्ट!

हर दिन कुछ न कुछ होता रहता हे ये तर्क जब आप उस मंत्री का पढ़े तब याद रखियेगा की ऐसा मंत्री आप पे कुछ गुज़र जाने पर भी यही कहेगा

आज एक मित्र ने इसी संदर्भ में पूछा की ये सारी सेना,दल वगेरह जो बने हुए हे ये वाले जो हर जिले में हर राज्य में हे वे कहा चले जाते हे तो मन में सोचा हा क्यों नही ये सब आने चाहिए इस सब के विरोध में फिर मन में ख़याल आया की अगर ये यहाँ आगये तो फिर फिल्मो के शो कौन रुकवाएगा हर बात पे रेली कौन निकलेगा बस जवाब मिल चूका था |

बस एक आखिरी बात कहके समाप्त करूंगा की जब आप चुनाव में कार्यकर्ता बनते हे चाहे किसी भी पार्टी के हो पर चुनाव बाद जनता बन जाइये वरना कल जब आपको ऑक्सीजन की जरुरत पड़े तो बताइयेगा फॉरवर्ड किया पोस्ट और अगर वे कर दे इलाज़  तो मुझे भी कर देना फॉरवर्ड ताकि हम भी ये सब आर.टी.आई. ,पत्र लेखन सब छोड़ के हो आये आपके ऍफ़.बी. व्ह्ट्स अप्प ग्रुप में  आखिर काम का तो ये ही हे |

गुज़ारिश यही हे की ज़िंदा रहिये जाग्रत  रहिये




मोहित मेनारिया

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