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मानसरोवर

मानसरोवर
एक ऐसी फिल्म जो आज से 12 साल पहले प्रदर्शित हुई एक ऐसी कहानी जो तीन किरदारों के बीच मे उलझी परन्तु सुलझी हुई है फ़िल्म का हर किरदार अपनी भूमिका को बढ़े अच्छे तरीके से निभाता नज़र आता है
फ़िल्म में रवि(अतुल कुलकर्णी) और जॉर्ज (ज़फर) दोनों भाई है और एक लड़की मालथी(नेहा दुबे) है

बढ़िया ढंग से प्रस्तुत की गई कहानी जिसमे रवि का किरदार बहुत प्रभावित करता है हर एक सीन में जान डालते हुए अतुल कुलकर्णी आपको अपने खूबसूरत अभिनय से मोह लेंगे
हर एक जगह रवि को देख मुझे लगा कितना कुछ है जो वह देना चाहता है और दे रहा है एक हथिनी को जब अपनी जायदाद का पूरा हिस्सा दिया तो अहसास हुआ की रवि ने सब कुछ देना ही तो चाहा है
एक दृश्य में जब रवि मालथी को समझाने की कोशिश करता है कि उसे एक मौका दिया जाए उस वक़्त लगा की में जाके कह दूं मालथी से की हा कर दो
एक ओर दृश्य जहाँ रवि मालथी को एक तोता ओर एक बकरी तोहफे में देता है वहाँ सोचा कि को देता है ऐसा तोहफा पर कुछ ही पल बाद लगा कि ये ही तो प्यार है कुछ भोलापन होना कुछ मासूम होना
सबसे पसंदीदा दृश्य है रवि जब झील में नहाने कूदता है तब एक एहसाह होता है कि यही तो है जो आदमी जीना चाहता है पर जी नही पाता है
रवि का मालथी से मिलना और नही मिल पाने पर विचलित हो जाना ये एक ऐसी रोमांचित यात्रा है जो बेहद खूबसूरत है
फ़िल्म में जो हास्य दृश्य है उनमें भी भरपूर मजा आता है जैसे खाना बनाने वाला दृश्य या जॉर्ज ओर मालथी के दृश्य
अतिंम दृश्य को दर्शकों के लिए इस तरह छोड़ा गया है की क्या कहे
ज्यादा दृश्य यहां नही बताऊंगा वरना कहोगे  रंग में भंग डाल दी (spoiler)
संगीत के बारे में इतना कहूंगा जब जब गिटार के तार बजते है सीधे दिल को छू लेते है
लेखन और निर्देशन के बारे में क्या कहु जब तक फ़िल्म खत्म होती है तब तक में मालथी से प्यार कर चुका था यही निर्देशक का जादू है शायद जो आपको इतना जोड़ देती है कि आपको लगाव हो जाता है सबसे

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